Sensor सेंसर क्या होता है,Sensor कितने प्रकार के होते है,Sensor किस प्रकार काम करते हैं

Sensor सेंसर क्या होता है सेंसर एक ऐसा उपकरण (Device) होता है जो बाहरी वातावरण से आसपास के क्षेत्र में मौजूद किसी भी भौतिक वस्तु की उपस्थिति का पता लगाकर उसके बारे में जानकारी देता हैं। बाजारों में विभिन्न प्रकार की सेंसर उपलब्ध हैं जिनका उपयोग प्रकाश, गति, तापमान, चुंबकीय क्षेत्र, गुरुत्वाकर्षण, आर्द्रता, नमी, कंपन, दबाव, विद्युत क्षेत्र, ध्वनि और मोबाइल में लाइट को स्वता कार्य करने तथा गाड़ियों में स्वता गाड़ी चलाने में मदद करते है इतना ही नहीं बाहरी वातावरण के अन्य भौतिक वस्तुओ का पता लगाने के लिए किया जाता हैं।सेंसर का इस्तेमाल करके पर्यावरण से किसी भी डेटा की जानकारी एकत्र की जाती है और इंटरनेट के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। उदाहरण के लिए- वाहनों मे ऐसे सेंसर लगे होते है जो वाहनों के टायर मे हवा की जांच करते है, कार के ऑटोमेटिक दरवाजे खोलना या बंद करना, Light Sensors की मदद से हेडलाइट का स्वचालित रूप से ऑन-ऑफ होना और इंजन के कूलिंग सिस्टम को ठीक से निगरानी करना स्मार्ट फोनों में ब्राइटनेस को स्वता कण्ट्रोल करना, एक सबसे बड़ा उदहारण आप सब लोगो ने माउस Mouse तो देखा ही होगा उसमे जो निचे की तरफ लाल लाइट के साथ LED बल्ब लगा होता है वह भी Sensor सेंसर ही होता है सभी प्रकार के Remote Control रिमोट कण्ट्रोल में भी आगे Sensor प्रयोग किया जाता है ताकि किसी भी प्रकार के कार्य को अपने हिसाब से उसे कण्ट्रोल कर सकें,अब मुझे लगता है की आप लोग समझ गए होने की सेंसर क्या होता है.

Sensor सेंसर क्या होता है

Table of Contents

इलेक्ट्रॉनिक्स सेंसर के प्रकार (Types of Electronics Sensors )

इलेक्ट्रॉनिक सेंसर क्या है इलेक्ट्रॉनिक सेंसर, सरल भाषा में कहें तो, एक ऐसा डिवाइस है जो चीज़ों को महसूस करता है, जैसे रोशनी, तापमान, दबाव, या मूवमेंट, और उसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में बदल देता है। इसे आप मशीनों के लिए आँख, नाक, और त्वचा जैसा समझ सकते हैं। जैसे हमारी आँखें रोशनी देखती हैं या हमारी त्वचा गर्मी महसूस करती है, वैसे ही सेंसर डिवाइसेज़ को उनके आस-पास क्या हो रहा है, यह समझने में मदद करते हैं।आजकल सेंसर्स अब आप लोगो को सभी बस्तुओं में मिल जायेंगे जैसे- मोबाइल फ़ोन, रिमोट कण्ट्रोल, AC , फ्रिज, माउस, जैसी सभी बस्तुओं में देखने को मिल जायेंगे, इतना ही नहीं आजकल तो गाडिओं में भी सब सेंसर्स का उपयोग किया जाने लगा है ताकि गाड़ियां ऑटोमोड में कार्य कर सकें। उदाहरण के तौर पर, जब आप धूप में होते हैं तो आपके फोन का सेंसर स्क्रीन की ब्राइटनेस खुद ब खुद कम कर देता है। या जब आप ऑटोमैटिक दरवाज़ों के पास जाते हैं, तो सेंसर आपकी मूवमेंट को पकड़ कर दरवाज़ा खोल देता है। ये सेंसर हमारे रोज़मर्रा के गैजेट्स को और भी स्मार्ट बनाते हैं, ताकि वो आपके लिए बेहतर काम कर सकें! आइए देखते है की अब तक मार्केट में कितने प्रकार के सेंसर आ रहे है।

1.फिंगरप्रिंट सेंसर (Fingerprint Sensor)

फिंगरप्रिंट सेंसर, आसान भाषा में कहें तो, एक छोटा सा डिवाइस है जो आपकी उंगली को स्कैन करके पहचान करता है कि आप वही इंसान हैं या नहीं। आपकी उंगली पर जो अनोखे निशान होते हैं—उभार और गड्ढे—उन्हें यह डिवाइस पहचान कर एक डिजिटल कोड में बदल देता है। जब आप अपनी उंगली सेंसर पर रखते हैं, तो यह चेक करता है कि यह फिंगरप्रिंट पहले से स्टोर किए गए निशान से मेल खाती है या नहीं। अगर मिलान हो जाता है, तो आपको एक्सेस मिल जाता है, जैसे आपका फोन अनलॉक हो जाता है या आप किसी सुरक्षित जगह में दाखिल हो सकते हैं।आप इसे ऐसे समझें, जैसे एक डिजिटल ताला, जो सिर्फ तब ही खुलता है जब उसे आपकी फिंगरप्रिंट पहचान में आती है। इससे आपका काम जल्दी और सुरक्षित तरीके से हो जाता है

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2. जायरोस्कोप सेंसर (Gyroscope Sensor)

जाइरोस्कोप सेंसर Gyroscope Sensor एक ऐसा सेंसर है जो यह पता लगाता है कि कोई चीज़ कैसे घूम रही है या झुक रही है। इसे आप अपने डिवाइस का “बैलेंस सेंसर” समझ सकते हैं। जहां एक्सेलेरोमीटर सीधी दिशा में होने वाली गति को मापता है, वहीं जाइरोस्कोप किसी चीज़ के घुमने या झुकने की जानकारी देता है। उदाहरण के लिए जब आप अपने फोन में रेसिंग गेम खेलते हैं और उसे दाएं-बाएं झुकाकर कार चलाते हैं, तो जाइरोस्कोप इस झुकाव को पहचानता है और गेम में उसी के अनुसार रिस्पॉन्स होता है। ड्रोन में जाइरोस्कोप इस्तेमाल होता है ताकि वह उड़ान के दौरान स्थिर रहे और सही दिशा में उड़ सके। वर्चुअल रियलिटी हेडसेट्स में जाइरोस्कोप सिर के मूवमेंट को ट्रैक करता है, जिससे अनुभव ज्यादा रियल और इमर्सिव लगता है। संक्षेप में, जाइरोस्कोप सेंसर आपके डिवाइस को यह समझने में मदद करता है कि वह किस दिशा में घूम रहा है या झुक रहा है, जिससे डिवाइस को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है!

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3. एक्सेलेरोमीटर सेंसर (Accelerometer Sensor)

एक्सेलेरोमीटर सेंसर एक ऐसा सेंसर है जो किसी चीज़ की गति, उसकी दिशा, या झुकाव को महसूस करता है। इसे आप डिवाइस का “मोशन डिटेक्टर” भी कह सकते हैं।आप सब लोगो ने स्मार्ट फ़ोन तो चलाया ही होगा, जब किसी फोटो या किसी वीडियो को देख रहे होते है, तो अपने देखा होगा की जिस डायरेक्शन में अपना फ़ोन को घुमाएंगे उसी डायरेक्शन में आपकी वीडियो या पिक्चर घूम जाती है इसे एक्सेलेरोमीटर सेंसर Accelerometer Sensor कहते है। उदाहरण के लिए जब आप अपना स्मार्टफोन घुमाते हैं और उसकी स्क्रीन अपने आप पोर्ट्रेट से लैंडस्केप मोड में बदल जाती है, तो यह एक्सेलेरोमीटर की वजह से होता है। फिटनेस ट्रैकर्स में भी यह सेंसर होता है, जो आपकी चाल, दौड़ या कूद जैसी गतिविधियों को मापता है। आपकी कार में भी एक्सेलेरोमीटर होता है, जो एक्सीडेंट के वक्त झटका महसूस करके एयरबैग खोलने में मदद करता है। ये सेंसर आपकी डिवाइस को यह समझने में मदद करते हैं कि वो कैसे हिल रही है, ताकि वह आपके काम को और आसान बना सके।

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4. मैगनेटोमीटर सेंसर (Magnetometer Sensor)

मैग्नेटोमीटर सेंसर Magnetometer Sensor एक ऐसा डिवाइस है जो चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाता है। इसे आप अपने गैजेट का “कम्पास” समझ सकते हैं। यह सेंसर धरती के चुंबकीय क्षेत्र को मापता है और दिशा का संकेत देता है, जिससे आपको पता चलता है कि आप किस दिशा में जा रहे हैं। आजकल यह सेंसर सभी स्मार्ट फ़ोन्स और दिशा सूचक यंत्रो में आने लगा है, मोबाइल फ़ोन में आपको दिशा बताने का काम करता है। उदाहरण के लिए जब आप अपने स्मार्टफोन में मैप्स ऐप का इस्तेमाल करते हैं और उसे घूमाते हैं, तो मैग्नेटोमीटर आपकी दिशा को पहचानता है और मानचित्र को उसी अनुसार घुमाता है। यह सेंसर ड्रोन और अन्य गाड़ियों में भी इस्तेमाल होता है, ताकि उन्हें सही दिशा में उड़ान भरने या चलने में मदद मिल सके। संक्षेप में, मैग्नेटोमीटर सेंसर आपके डिवाइस को दिशा पहचानने में मदद करता है, जिससे आपका काम और भी आसान हो जाता है!

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5. इमेज सेंसर (Image Sensor)

इमेज सेंसर Image Sensor एक ऐसा डिवाइस है जो तस्वीरें खींचने में मदद करता है। इसे आप कैमरे का “आंख” कह सकते हैं। जब आप किसी तस्वीर को क्लिक करते हैं, तो इमेज सेंसर उस दृश्य को कैप्चर करता है और उसे डिजिटल फॉर्म में बदल देता है। आप लोगो ने देखा होगा आजकल काफी अच्छे कैमरा और स्मार्ट फ़ोन आते है, उनमे हम सब लोग अलग अलग तरह के फोटो लेते है जो फोटो कैमरा में कैप्चर होता है वह इमेज सेंसर Image Sensor की वजह से हो पाता है. इमेज सेंसर क्या करता है बाहर के द्रस्य को छोटे छोटे पिक्सल में बदल कर डिजिटल फार्म में बदल देता है ये सारा काम इमेज सेंसर की वजह से होता है।

कैसे काम करता है:

  • जब आप कैमरा चालू करते हैं और किसी चीज़ की तस्वीर लेते हैं, तो इमेज सेंसर उस दृश्य की रोशनी को पहचानता है।
  • यह रोशनी छोटे-छोटे पिक्सल्स में तब्दील हो जाती है, जो बाद में मिलकर एक पूरी तस्वीर बनाते हैं।

उदाहरण के लिए:

  • स्मार्टफोन कैमरे में इमेज सेंसर होता है जो आपको खूबसूरत फोटो खींचने की सुविधा देता है।
  • DSLR कैमरों में भी इमेज सेंसर होता है, जो प्रोफेशनल क्वालिटी की तस्वीरें खींचने में मदद करता है।
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6. IR ब्लास्टर सेंसर (IR Blaster Sensor)

IR ब्लास्टर सेंसर एक ऐसा डिवाइस है जिसमें IR ब्लास्टर और IR सेंसर, दोनों की विशेषताएं होती हैं। IR ब्लास्टर वो सिग्नल भेजता है जिससे आप अपने टीवी, एसी जैसे डिवाइस को कंट्रोल कर सकते हैं, जैसे एक रिमोट कंट्रोल करता है। वहीं, IR सेंसर उन सिग्नलों को पकड़ता है जो रिमोट से भेजे जाते हैं, यानी वो सिग्नल को “सुन” सकता है। अगर एक डिवाइस में दोनों (IR ब्लास्टर और IR सेंसर) होते हैं, तो वो सिग्नल भेज और प्राप्त दोनों कर सकता है। इस तरह, डिवाइस और अन्य IR आधारित उपकरणों के बीच दो-तरफ़ा संचार संभव होता है। उदाहरण के लिए, एक स्मार्टफोन जो टीवी कंट्रोल करता है, वो IR ब्लास्टर के जरिए सिग्नल भेज सकता है जैसे घरेलू उपकरणों को कण्ट्रोल करना जैसे TV, AC, फ्रिज प्रोजेक्टर इत्यादि

इस्तेमाल-

  • पुराने रिमोट से सिग्नल सीखना (यूनीवर्सल रिमोट्स में)।
  • घरेलू उपकरणों को कण्ट्रोल करना जैसे TV, AC, फ्रिज प्रोजेक्टर इत्यादि
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7. बेरोमीटर सेंसर (Barometer Sensor)

बैरामीटर सेंसर (Barometer Sensor) एक उपकरण होता है जो वातावरण के दबाव (Atmospheric Pressure) को मापता है। यह सेंसर वायुमंडलीय दबाव के परिवर्तन का पता लगाता है और उसे डिजिटल रूप में प्रदर्शित करता है। बैरोमीटर सेंसर का मुख्य कार्य वायुदाब को मापना होता है, जो मौसम का पूर्वानुमान लगाने, ऊंचाई की गणना करने और पर्यावरण की अन्य स्थितियों को समझने में मदद करता है। बैरामीटर सेंसर (Barometer Sensor) आप लोगो को सभी डिवाइसों में नहीं मिलता है ये सिर्फ प्रीमियम फ़ोन्स में देखने को मिलता है, जैसे- आईफोन गूगल पिक्सेल जैसे फ़ोन्स में उपलब्ध है।

बैरोमीटर सेंसर के प्रमुख कार्य:

  • वायुमंडलीय दबाव मापना (Measuring Atmospheric Pressure): यह सेंसर वातावरण में मौजूद वायु के दबाव का पता लगाता है। वायुदाब को मापने से मौसम की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, जैसे कि जब दबाव कम होता है तो बारिश या तूफान की संभावना बढ़ जाती है, और जब दबाव अधिक होता है तो मौसम साफ होता है।
  • ऊंचाई की गणना (Altitude Measurement): बैरोमीटर सेंसर का उपयोग ऊंचाई को मापने के लिए भी किया जाता है, खासकर स्मार्टफोन, ड्रोन, और नेविगेशन उपकरणों में। वायुदाब बदलने पर ऊंचाई में भी बदलाव आता है, जिससे यह सेंसर यह बता सकता है कि आप समुद्र तल से कितनी ऊंचाई पर हैं।
  • मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecasting): वायुमंडलीय दबाव में बदलाव के आधार पर मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर वायुदाब अचानक घटता है, तो इसका मतलब है कि मौसम खराब हो सकता है, जैसे कि तूफान या बारिश आने की संभावना है।

बैरामीटर सेंसर (Barometer Sensor) एक उपकरण होता है जो वातावरण के दबाव (Atmospheric Pressure) को मापता है। यह सेंसर वायुमंडलीय दबाव के परिवर्तन का पता लगाता है और उसे डिजिटल रूप में प्रदर्शित करता है। बैरोमीटर सेंसर का मुख्य कार्य वायुदाब को मापना होता है, जो मौसम का पूर्वानुमान लगाने, ऊंचाई की गणना करने और पर्यावरण की अन्य स्थितियों को समझने में मदद करता है।

बैरोमीटर सेंसर के प्रमुख कार्य:

  1. वायुमंडलीय दबाव मापना (Measuring Atmospheric Pressure): यह सेंसर वातावरण में मौजूद वायु के दबाव का पता लगाता है। वायुदाब को मापने से मौसम की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, जैसे कि जब दबाव कम होता है तो बारिश या तूफान की संभावना बढ़ जाती है, और जब दबाव अधिक होता है तो मौसम साफ होता है।
  2. ऊंचाई की गणना (Altitude Measurement): बैरोमीटर सेंसर का उपयोग ऊंचाई को मापने के लिए भी किया जाता है, खासकर स्मार्टफोन, ड्रोन, और नेविगेशन उपकरणों में। वायुदाब बदलने पर ऊंचाई में भी बदलाव आता है, जिससे यह सेंसर यह बता सकता है कि आप समुद्र तल से कितनी ऊंचाई पर हैं।
  3. मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecasting): वायुमंडलीय दबाव में बदलाव के आधार पर मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर वायुदाब अचानक घटता है, तो इसका मतलब है कि मौसम खराब हो सकता है, जैसे कि तूफान या बारिश आने की संभावना है।

बैरोमीटर सेंसर के उपयोग:

  • स्मार्टफ़ोन और स्मार्टवॉच: बैरोमीटर सेंसर स्मार्टफोन्स में इस्तेमाल होता है, ताकि GPS के साथ मिलकर ऊंचाई का सटीक पता लगाया जा सके।
  • मौसम विज्ञान: यह मौसम के पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • हवाई नेविगेशन: हवाई जहाजों में बैरोमीटर का उपयोग ऊंचाई मापने और उड़ान को नियंत्रित करने के लिए होता है।
  • ड्रोन और उपग्रह: ऊंचाई और दबाव को समझने के लिए बैरोमीटर का इस्तेमाल ड्रोन और उपग्रहों में किया जाता है।

इस प्रकार, बैरोमीटर सेंसर एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो वायुदाब और ऊंचाई का पता लगाकर मौसम और नेविगेशन में मदद करता है।

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6. साउंड सेंसर (Sound Sensor)

साउंड सेंसर Sound Sensor एक ऐसा डिवाइस है जो ध्वनि या आवाज़ को पहचानता है। इसे आप “ध्वनि का कान” कह सकते हैं। यह सेंसर आसपास की आवाज़ों को सुनता है और उन्हें मापता है, जिससे यह तय कर सकता है कि कोई विशेष ध्वनि कितनी तेज़ है या कब हुई है। इस सेंसर से यह पता लगाया जा सकता है की उस दिशा में या फिर किस टाइम साउंड को उत्पन्न किया गया है, यह सारा काम Sound Sensor के द्वारा ही किया जाता है।

कैसे काम करता है:

  • जब कोई आवाज़ होती है, तो साउंड सेंसर उसे कैप्चर करता है और उस ध्वनि के स्तर को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में बदल देता है।
  • ये सिग्नल फिर किसी डिवाइस को बताते हैं कि कब कुछ विशेष हुआ, जैसे कोई दरवाज़ा खटके या कोई अलार्म बजे।

उदाहरण के लिए:

  • स्मार्ट होम सिस्टम में साउंड सेंसर का उपयोग होता है ताकि वह आपके द्वारा दिए गए वॉयस कमांड को पहचान सके।
  • सुरक्षा अलार्म में भी साउंड सेंसर होता है, जो अनधिकृत ध्वनियों पर प्रतिक्रिया देता है।
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ऑटोमोबाइल सेंसर (Automobile Sensor) कितने प्रकार के होते है

अगर हम सेंसर की बात करें तो मार्केट में अनेको प्रकार के Sensor सेंसर उपलब्ध है, लेकिन अगर मुख्यता 27 प्रकार के Sensor सेंसर होते है।

1. प्रत्यक्ष सेंसर ( Direct Sensor )

प्रत्यक्ष सेंसर वह उपकरण होता है जो किसी मापी गई चीज़ को सीधे विद्युत संकेत में बदल देता है, या फिर किसी भौतिक प्रक्रिया के माध्यम से उस संकेत को संशोधित करता है।

यहाँ दो उदाहरण दिए गए हैं जो प्रत्यक्ष सेंसर को दर्शाते हैं:

  • थर्मोकपल (Thermocouple): यह सेंसर तापमान को मापने के लिए इस्तेमाल होता है। जब इसके दो अलग-अलग धातुओं के जोड़ों को गर्म किया जाता है, तो यह एक छोटा विद्युत वोल्टेज उत्पन्न करता है, जो तापमान के अनुपात में होता है।
  • फोटो-डायोड (Photodiode): यह सेंसर प्रकाश को मापने के लिए प्रयोग होता है। जब यह प्रकाश के संपर्क में आता है, तो यह विद्युत धारा उत्पन्न करता है, जो प्रकाश की तीव्रता के आधार पर बदलती है।
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2.अप्रत्यक्ष सेंसर ( Indirect sensor )

अप्रत्यक्ष सेंसर टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (TPMS) का एक प्रकार है, जो टायर के दबाव की निगरानी के लिए वाहन के एंटी-लॉक ब्रेक सिस्टम (ABS) के व्हील स्पीड सेंसर का उपयोग करता है। ये सिस्टम टायर के वायु दबाव को सीधे मापते नहीं हैं, बल्कि हर पहिए की गति की तुलना करते हैं ताकि टायर के दबाव में बदलाव का पता लगाया जा सके।

यहाँ अप्रत्यक्ष सेंसर आधारित TPMS के दो उदाहरण दिए गए हैं:

  • व्हील स्पीड तुलना प्रणाली: इस प्रणाली में, वाहन के चारों पहियों पर लगे ABS सेंसर से प्रत्येक पहिए की गति की जानकारी प्राप्त की जाती है। अगर किसी टायर में दबाव कम हो जाता है, तो उसका व्यास घट जाता है, जिससे उसकी गति अन्य पहियों की तुलना में बदल जाती है। यह बदलाव सेंसर द्वारा पहचाना जाता है, और वाहन के सिस्टम में चेतावनी जारी कर दी जाती है कि टायर का दबाव कम हो रहा है।
  • ABS आधारित स्लिप डिटेक्शन : इस प्रकार के सिस्टम में, ABS सेंसर वाहन के पहियों के फिसलने या स्किड करने का पता लगाते हैं। अगर टायर का दबाव कम होता है, तो वह अधिक स्किड करता है। यह सिस्टम पहियों के स्किड पैटर्न को मॉनिटर करके यह निर्धारित करता है कि किस टायर में हवा का दबाव कम हो गया है, और ड्राइवर को अलर्ट करता है।
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3.वायु प्रवाह सेंसर ( Air-Flow Sensor )

वायु प्रवाह सेंसर एयर-फ्लो सेंसर, खासतौर से हॉट वायर मास एयर-फ्लो सेंसर, इंजन के एयर इनटेक सिस्टम में लगा होता है। यह सेंसर एक पतले तार को गर्म करके इंजन में जाने वाली हवा की मात्रा मापता है। जब हवा इस गर्म तार के पास से गुजरती है, तो तार ठंडा होने लगता है। तार के ठंडे होने की दर से हवा की घनत्व और प्रवाह का पता चलता है। यह जानकारी इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU) को भेजी जाती है, जो इसे इस्तेमाल कर ईंधन इंजेक्शन और स्पार्क टाइमिंग को सही करता है, ताकि इंजन का दहन इष्टतम हो सके।अगर एयर-फ्लो सेंसर ठीक से काम नहीं करता, तो इंजन ज्यादा ईंधन (रिच) या कम ईंधन (लीन) जलाता है। इसका असर इंजन की परफॉर्मेंस पर पड़ता है, जिससे पावर की कमी, मिसफायर, स्टॉलिंग (इंजन का बंद हो जाना), और उत्सर्जन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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4. इंजन नॉक सेंसर ( Engine knock sensor )

नॉक सेंसर एक एक्सेलेरोमीटर होता है जिसे इंजन ब्लॉक से जोड़ा जाता है, और इसका काम है इंजन में दस्तक या समय से पहले होने वाली इग्निशन के कारण होने वाले कंपन को पहचानना। ये दस्तक धीरे-धीरे पिस्टन, रिंग, बियरिंग और लाइनर जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकती है। जब नॉक सेंसर इस नॉकिंग या पिंगिंग आवाज को पकड़ता है, तो यह तुरंत ECU को सिग्नल भेजता है, ताकि इग्निशन टाइमिंग को धीमा किया जा सके और इंजन में होने वाले विनाशकारी विस्फोट से बचा जा सके। इस तरह, नॉक सेंसर इंजन के हिस्सों को संभावित नुकसान से बचाने में मदद करता है।

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5. इंजन स्पीड सेंसर ( Engine Speed Sensor )

स्पीड सेंसर आमतौर पर एक हॉल इफेक्ट सेंसर होता है, जो क्रैंकशाफ्ट पर लगा होता है और इसके घूमने के दौरान क्रैंकशाफ्ट की गति और स्थिति की निगरानी करता है। यह सेंसर ECU को यह जानकारी देता है कि क्रैंकशाफ्ट किस पोजीशन में है, जिससे ECU सही समय पर ईंधन इंजेक्शन और इग्निशन को हर सिलेंडर के लिए समायोजित कर पाता है। इंजन के सुचारू संचालन, पावर डिलीवरी, और उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए इन घटनाओं का सही समय पर होना बहुत जरूरी है।

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6. MAP सेंसर ( MAP Sensor )

MAP Sensor सेंसर जिसे मैनिफोल्ड एब्सोल्यूट प्रेशर सेंसर कहा जाता है, हलाकि नाम से ही पता चल रहा है इस सेंसर का उपयोग नेविगेशन रास्ता देखने के काम में आता है, MAP का प्रयोग अब सभी स्मार्ट फ़ोन्स में भी आने लगा है इंजन के इनटेक मैनिफोल्ड पर लगा होता है। इसका मुख्य काम मैनिफोल्ड के अंदर वैक्यूम प्रेशर में होने वाले बदलावों को मापना है, जो इंजन लोड के साथ बदलता रहता है। जब इंजन में लोड बदलता है, तो MAP सेंसर इसे पहचानकर इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU) को जानकारी देता है। ECU इस डेटा का इस्तेमाल वायु-ईंधन अनुपात को सही रखने के लिए करता है, ताकि इंजन बेहतर परफॉर्म कर सके।

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7. वोल्टेज सेंसर ( Voltage Sensor)

वोल्टेज सेंसर यह सेंसर सिस्टम वोल्टेज की निगरानी करके अल्टरनेटर को सही ढंग से चार्ज बनाए रखने में मदद करता है। जब विद्युत भार बढ़ता या घटता है, तो यह सेंसर अल्टरनेटर को संकेत देता है कि चार्जिंग को कैसे विनियमित किया जाए। इसके साथ ही, यह निष्क्रिय गति (idle speed) को भी विद्युत भार के अनुसार समायोजित करता है, ताकि इंजन स्थिरता से काम करता रहे। इस प्रक्रिया से यह सेंसर बैटरी ड्रेन (अत्यधिक डिस्चार्ज) और ओवरचार्जिंग जैसी समस्याओं से बचाने में अहम भूमिका निभाता है।

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8. ऑक्सीजन सेंसर (Oxygen Sensor )

ऑक्सीजन सेंसर एग्जॉस्ट मैनिफोल्ड में लगा O2 सेंसर एग्जॉस्ट गैस में ऑक्सीजन की मात्रा पर नजर रखता है, जिससे यह पता चलता है कि इंजन में हवा और ईंधन का मिश्रण सही है या नहीं। अगर मिश्रण बहुत समृद्ध (ज्यादा ईंधन) या कम (ज्यादा हवा) हो, तो O2 सेंसर ECU को फीडबैक देता है ताकि ECU उस मिश्रण को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सके और इंजन की दक्षता को अधिकतम किया जा सके।अगर O2 सेंसर दूषित हो जाता है या सही तरीके से काम नहीं करता, तो इससे ईंधन की खपत बढ़ सकती है, गाड़ी की परफॉर्मेंस खराब हो सकती है और उत्सर्जन भी ज्यादा हो सकता है।

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9. तापमान सेंसर ( Temperature sensor )

तापमान सेंसर शीतलक, वायु सेवन, और निकास तापमान सेंसर इंजन के कामकाजी तापमान की निगरानी करते हैं। ECU इस जानकारी का इस्तेमाल इग्निशन टाइमिंग को समायोजित करने, ईंधन वितरण को नियंत्रित करने, कूलिंग फैन को प्रबंधित करने और ओवरहीटिंग से बचाने के लिए चेतावनी लाइट्स को कंट्रोल करने में करता है। ये सेंसर सुनिश्चित करते हैं कि इंजन बिना किसी रुकावट के और सुरक्षित रूप से चले, जिससे इसे अत्यधिक गर्मी से होने वाले संभावित नुकसान से बचाया जा सके।

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10. ड्राइवर मॉनिटरिंग कैमरा सेंसर ( Driver Monitoring Camera Sensor )

ड्राइवर मॉनिटरिंग कैमरा सेंसर स्टीयरिंग कॉलम पर लगा यह कैमरा मशीन विज़न एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके ड्राइवर के सिर की स्थिति, पलक झपकने, टकटकी लगाने और चेहरे के सूक्ष्म भावों को ट्रैक करता है। इससे यह ड्राइवर की निगरानी करता है और उनींदापन, ध्यान भटकने या असावधानी जैसी स्थितियों का पता लगा सकता है, जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। अगर ड्राइवर नींद में हो या ध्यान भटक रहा हो, तो कैमरा श्रव्य अलर्ट और डैशबोर्ड पर चेतावनी देकर उन्हें सचेत करता है, ताकि वे वापस सड़क पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

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11. पार्किंग सेंसर ( Parking Sensor )

पार्किंग सेंसर फ्रंट और रियर बंपर्स में लगे शॉर्ट-रेंज अल्ट्रासोनिक सेंसर हाई-फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स छोड़ते हैं और उनकी गूंज (इको) वापस आने का समय मापते हैं, जिससे पास के अवरोधों का पता लगाया जाता है। उन्नत डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग इस समय के आधार पर दूरी का आकलन करती है, खासकर जब गाड़ी कम स्पीड पर हो या पार्किंग के दौरान। पार्किंग असिस्ट सिस्टम ड्राइवर को ऑडिबल बीप्स और डैशबोर्ड पर विजुअल ग्राफिक्स के जरिए आगाह करता है, जिससे ड्राइवर को यह पता चल सके कि अवरोध कितने पास हैं। यह प्रणाली छोटी-मोटी टक्कर, खरोंच और महंगे नुकसान से बचने में मदद करती है।

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1. अल्ट्रासोनिक पार्किंग सेंसर (Ultrasonic Parking Sensor)

यह सबसे आम प्रकार का पार्किंग सेंसर होता है। इसमें अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग किया जाता है। सेंसर वाहन के बंपर पर लगे होते हैं और ध्वनि तरंगें भेजते हैं। जब कोई वस्तु वाहन के पीछे या सामने आती है, तो ये तरंगें उससे टकराकर वापस लौटती हैं। सेंसर इस जानकारी का उपयोग करके वस्तु की दूरी का पता लगाता है और ड्राइवर को चेतावनी देता है। जैसे-जैसे वाहन वस्तु के पास आता है, चेतावनी की आवृत्ति बढ़ती जाती है, जिससे ड्राइवर को पता चलता है कि उसे कब रुकना है।

  • उदाहरण: कार के पिछले हिस्से में लगे अल्ट्रासोनिक पार्किंग सेंसर ड्राइवर को पीछे की ओर पार्क करते समय दीवार या अन्य वाहनों से टकराने से रोकते हैं।
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2. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पार्किंग सेंसर (Electromagnetic Parking Sensor)

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पार्किंग सेंसर वाहन के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बनाता है। जब कोई वस्तु इस चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करती है, तो सेंसर इसे पहचान लेता है और ड्राइवर को चेतावनी भेजता है। यह तकनीक अल्ट्रासोनिक सेंसर की तुलना में थोड़ी अलग होती है क्योंकि इसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग नहीं होता, बल्कि एक चुंबकीय क्षेत्र पर आधारित होती है।

  • उदाहरण: इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सेंसर अक्सर वाहन के सामने वाले हिस्से में उपयोग किए जाते हैं, जिससे ड्राइवर को पता चलता है कि आगे कितनी दूरी पर कोई अवरोधक है, खासकर धीमी गति से पार्किंग के दौरान।
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Video credit by Niket Shah Plus
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